November 24, 2012

कुछ लोग बाज़ नहीं आते

हर बार अलग निकल जाते
कुछ करने को चाहते

कुछ लोग बाज़ नहीं आते

नए सपने बुनते
भूले रास्ते ढूँढ़ते

कुछ लोग बिलकुल बाज़ नहीं आते

मुश्किल सवाल पूछते
नए अर्थ तलाशते

कुछ लोग बाज़ नहीं आते

बना बनाया छोड़ते
नियमो को तोड़ते

सच में कुछ लोग बाज़ नहीं आते

दुनिया की नज़रों में
दीवाने कहलाते

फिर भी कुछ लोग बाज़ नहीं आते

घर परिवार समाज उमीदे
इन सब से दूर निकल जाते

कुछ लोग कभी बाज़ नहीं आते

हर दम मन की करने
की हिम्मत कैसे जुटा पाते

कुछ लोग बाज़ नहीं आते

November 17, 2012

गुफ्तगू

एक बच्चे के साथ बिताये कुछ मज़ेदार पल।


जीजू ने बच्चे से पूछा पत्तों का खेल खेलोगे? बच्चा फटाफट राज़ी हो गया।
शर्त लगी की अगर वो पत्तों को कहे अनुसार लगा देता है तो मुह माँगा इनाम पायेगा।
बच्चा ख़ुशी ख़ुशी पत्तों के बीच खो गया। एक से दस तक उन्हें जोड़ने लगा।
करीब 20 मिनट तक उसे दुनिया की कोई खबर नहीं रही।
 काम पूरा होते ही बच्चा बेसब्री से जीजू को बुलाने लगा।
जीजू आये और उसका पूरा काम देखे उसके बीच में 
बच्चा बाकी लोगों से कहता है, "क्या मांगू, मैं?" और सोच में डूब जाता है।
जीजू आने पर छाती चौड़ी कर किया हुआ काम दिखता है।
मौजूद सभी बड़े ताली बजाकर उसका उत्साह बढ़ाते है। 
अब जीजू उसे पूछते है बोलो क्या लोगे।
बच्चा बड़ी समझदारी के साथ कहता है, "जो आप देना चाहो"।
और पूछने पर सादगी से बोलता है, "बस, बैगन की सब्जी खाने की ज़बरदस्ती कोई न करें।"


छोटे छोटे सपने
सादगी भरी इच्छाएं
बच्चे बड़ों से सीखे
या फिर बड़े बच्चों से सीखे

November 08, 2012

अच्छा
या
सच्चा


आसान
या
मुश्किल
 
साथ
या
अकेले
 
मक़ाम
या
राह

सुलझना
या
उलझना
 
जवाब
या
सवाल
 
बनाना
या
तोडना

जीत
या
हार
 
दिमाग
या
दिल
 
तनका
या
मनका

मेरा
या
सबका
 
नौकरी
या
काम
 
दौड़
या
आराम

ख़ास
या
आम
 
सरकार
या
समाज
 
देश
या
इंसान

जिंदा
या
जीवित

November 03, 2012

एक राह
कुछ
कच्ची पक्की
कुछ सीधी टेढ़ी

कई राही
कुछ दौड़ते भागते
कुछ भीड़ में खो जाते

एक दिन
राह ने पुछा
राही से

इस तरह
दौड़ दौड़ के
कहाँ जा रहे हो ?

क्यों
मुझे पीछे
छोड़े जा रहे हो?

राही ने
मानो सुना
ही नहीं

कुछ देर हुई
राह
फिर बोली

ये दौड़
कहाँ
के लिए है ?

राही
अपने कदम 
तेज़ी से बढ़ाने लगा

राह को
अब भी नहीं समझा
की क्या हो रहा है

थके हांफते राही को देख  
कुछ देर बाद
राह फिर बोली

कुछ दम ले लो
इस मोड़ पर थम लो
आखिर इतनी जल्दी क्या है

एक दो
सौ दोसो
हजारों

जाने कितने ही
राही
बस गुजरते चले गए