March 07, 2015





इख्तिलाफ

बोलना
देखना
घूमना
पहनना
दोस्ती
शादी
खाना
सोना

बड़े भैया सब देख रहे
वो सब के लिए सोच रहे है

अच्छे दिन आ गए है
अच्छे दिन आ गए है

अब हमें तुम्हे करना है क्या
है जीना बस बुत की तरह



March 02, 2015




तीखी गुफ्तगू
बच्ची, "हम कचरा बीनते है। हमें बहुत तालीफ़ होती है। हमें भी स्कूल जाना है। स्कूल में लोग हमें साथ नहीं लेते। हमें अलग ही रखते है।" 
बड़े, "तुम क्यूँ पढ़ना चाहती हो? पढ़कर कर क्या करोगी?"
बच्ची ने तुरंत जवाब दिया, "कम से कम कचरा तो नहीं चुनूंगी।"