November 25, 2015

वक़्त वक़्त की बात


वक़्त बस गुज़र जाता
वो कब हाथ आता

यादों के रूप में
अपनी छाप छोड़ जाता

अब तक ये जाना
सदियों से इसे माना

पर कुछ पल के लिए ही सही 
गर वक़्त वही थम जाये

आगे बढ़ने से इंकार करे 
और उसी घडी में जम जाये 

ये नफरत फ़साद भरा मौहाल
ये लूट दबोच की गर्मी

ये मेरा तेरा अपना उसका
सब से हम और फिर सिर्फ मैं

यही आज कल परसों
हर पल कई बरसों

वक़्त 
​कहाँ ​
गुज़रता जाता है
कहानी वही दोहराता है