एक राह
कुछ कच्ची पक्की
कुछ सीधी टेढ़ी
कई राही
कुछ दौड़ते भागते
कुछ भीड़ में खो जाते
एक दिन
राह ने पुछा
राही से
इस तरह
दौड़ दौड़ के
कहाँ जा रहे हो ?
क्यों
मुझे पीछे
छोड़े जा रहे हो?
राही ने
मानो सुना
ही नहीं
कुछ देर हुई
राह
फिर बोली
ये दौड़
कहाँ
के लिए है ?
राही
अपने कदम
कुछ कच्ची पक्की
कुछ सीधी टेढ़ी
कई राही
कुछ दौड़ते भागते
कुछ भीड़ में खो जाते
एक दिन
राह ने पुछा
राही से
इस तरह
दौड़ दौड़ के
कहाँ जा रहे हो ?
क्यों
मुझे पीछे
छोड़े जा रहे हो?
राही ने
मानो सुना
ही नहीं
कुछ देर हुई
राह
फिर बोली
ये दौड़
कहाँ
के लिए है ?
राही
अपने कदम
तेज़ी से बढ़ाने लगा
राह को
अब भी नहीं समझा
की क्या हो रहा है
थके हांफते राही को देख
कुछ देर बाद
राह फिर बोली
कुछ दम ले लो
इस मोड़ पर थम लो
आखिर इतनी जल्दी क्या है
एक दो
सौ दोसो
हजारों
जाने कितने ही
राही
बस गुजरते चले गए
राह को
अब भी नहीं समझा
की क्या हो रहा है
थके हांफते राही को देख
कुछ देर बाद
राह फिर बोली
कुछ दम ले लो
इस मोड़ पर थम लो
आखिर इतनी जल्दी क्या है
एक दो
सौ दोसो
हजारों
जाने कितने ही
राही
बस गुजरते चले गए
No comments:
Post a Comment