October 15, 2016




कैसा गजब का नाता है
दिलो-दिमाग पर छा जाता है
कौन किसके बस में है
क्या ये पता चल पाता है

कभी मन की कहता है
तो कभी मन को कहता है
जानकारी-मनोरंजन या फिर विज्ञापन...
पैसे लेकर या मुफ्त ही लुभाता है

क्या उसकी अपनी कोई भाषा है
स्वयं कहता... या कोई कहलवाता है
जानना-समझना है, विश्लेषण करना है
उपभोगता क्यों, हमें उत्पादक बनना है


प्रबीर और अंजु

October 08, 2016

तुम देखकर सीख लेना


अगर चाहो तो आ जाओ, जान लो
खोज लिए है मैंने सवालों के जवाब

आत्मनिर्भर व्यक्ति, सशक्त समाज का निर्माण
क्या कर पाएंगे, हम दे दे कर जवाब

एक दीदी का था जवाब:
हम कैसे सिखाएंगे करना खेती
हम तो है किसान
हम करेंगे खेती
तुम देखकर सीख लेना