September 07, 2019


इन बिगड़ते हालात का
बयान क्या करें 
सब्र और संघर्ष 
उम्मीद और आक्रोश 
के मौसम साथ हो लिए  

क्यों कर आख़िर 
ये रंग इतना बदल गया 
खान-पान का असर 
आखिरकार हो ही गया 

बात ये शाकाहारी मांसाहारी 
की बना दी गयी 
जबके असल गुन्हेगार तो 
विकास-ए-ताज से सम्मानित गए 

क्यों नहीं देख पाए हम 
की बेमौसमी सुन्दर दिखनेवाली 
सब्ज़ियां और फल बाजार में ही नहीं 
हमारे दिल और दिमाग पर छा जायेंगे 

हम इंसान न रहकर 
फरेब के नकाब पहनकर 
बाज़ार में बिकते 
सामान से बन जायेंगे