February 09, 2013

मिटटी

 

कई सालों बाद फिर मिटटी को छुआ

उसकी खुसबू ली और उस पर चला है 


जाने ये कैसा रिश्ता है जो न होने पर सताता है

और हर बार लौटकर आता है


कई सालों तक ये रिश्ता बस कुछ पल का एहसास रहा

कभी कभी की लुत्फ़ का सिलसिला चलता रहे 


मिटटी का साथ अब फिर बनने को है

खोया हुआ एक नया रिश्ता फिर उभरने को है

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